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Wednesday, December 2, 2020

क्या आप गुड के साथ केमिकल खा रहे हैं, जानिए केमिकल फ़्री गुड के बारे में।

क्या आप गुड के साथ केमिकल खा रहे हैं, जानिए केमिकल फ़्री गुड के बारे में।

प्रकृति ने हमें अमृत के रूप में शहद दिया है जिसका बखान चरक से लेकर बागभट्ट जैसे महर्षियों ने अपने अपने प्रकार से किया है। लेकिन शहद निकालना जितना मुश्किल होता है उतना ही आजकल शुद्ध शहद का मिलना है। और शहद अगर शुद्ध नहीं है तो वो भी विष के समान ही है। अतः बागभट्ट और चरक ऋषियों ने शहद का सबसे बड़ा पर्यायवाची गुड को बताया है। लेकिन शुद्धता का प्रश्न तो गुड में भी आता है। तो आइए जानते हैं कि क्या आप गुड के साथ केमिकल खा रहे हैं, जानिए केमिकल फ़्री गुड के बारे में।

लेकिन उससे पहले जानते हैं की गुड निरंतर खाने के क्या क्या फायदे हैं:- 

प्रदुषण और गंदगी को हमारे शरीर से निकलता है।

गुड हमारे आहरनाल से गंदगी को पूरी तरह से साफ कर देता है। यह प्रदुषण वाले शहरों यथा दिल्ली और पटना के लोगो को अवश्य खाना चाहिए वो भी प्रतिदिन। इसकी गंदगी हटाने की प्रकृति के कारण ही सीमेंट फैक्ट्री में मजदूरों को प्रतिदिन गुड खाने के लिए दिया जाता है। भूसा या किसी सूक्ष्म गंदगी वाले जगहों पर काम करने वाले लोग भी कार्य समाप्ति के पश्चात गुड ही खाते हैं तो अगर आप आज कहीं भी रह रहे हैं हफ्ते में 3 दिन गुड अवश्य खाए। 


हड्डियो को मजबूत बनाता है

कैल्शियम और मैग्नेशियम की प्रचुरता के कारण गुड हड्डियो को मजबूती प्रदान करता है। यदि आपके जोड़ो में दर्द है तो आप सोंठ ( सूखा अदरक) के साथ गुड खाए और आपको राहत मिलेगी। 

एनीमिया के मरीजों के लिए लाभदायक

गुड में आयरन भी पाया जाता है इसीलिए जहां एक तरफ यह हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है वहीं यह गर्भवती महिलाओ के लिए भी लाभदायक होता है। इसीलिए गर्भवती महिला और एनीमिया के रोगियों को डॉक्टर गुड खाने कि सलाह देते हैं। 

सर्दी जुखाम को कंट्रोल करता है

काली मिर्च और सोंठ के साथ गुड खाने पर आपका सर्दी जुखाम ठीक ही जाएगा बशर्ते वक्त लग सकता है। अगर आपको खांसी की शिकायत है तो आप चीनी के जगह गुड ले सकते हैं। वैसे हम आपको आज ही चीनी छोड़ने की सलाह देते हैं, चीनी सिर्फ केमिकल ही रहता है। अगर आप चीनी खाना ही चाहते है तो ऑर्गेनिक चीनी खाए वरना जल्द ही आप के अंदर विभिन्न तरह की बीमारियां आने लगेंगी। 

हाई ब्लड प्रेशर को संतुलित करता है

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो गुड आपके लिए वरदान है आज से ही गुड खाना शुरू करें। 

क्या आप गुड के साथ केमिकल खा रहे हैं, जानिए केमिकल फ़्री गुड के बारे में।

कैसा गुड अच्छा होता है?

ऊपर के बीमारियों के अलावा भी गुड अनेक प्रकार की बीमारियों का निदान करता है। लेकिन उसके लिए जरूरी है गुड में केमिकल की उपस्थिति का ना होना। गुड की शुद्धता का एक ही पहचान है, गुड जितना काला उतना ही शुद्ध। सफेद गुड कभी भी बाजार से ना खरीदे।  सफेद गुड में सर्फ या सफोलाइट नाम के एक केमिकल की उपस्थिति होती है जो उसके कालेपन को दूर करने के लिए मिलाया जाता है। लेकिन उससे गुड के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वो किसी काम का नहीं रहता। शुद्ध गुड थोड़ा कचकच भी रहता है क्युकी उसमे गन्ने का तत्व भी रहता है जो आपको खाने मेे थोड़ा खराब लग सकता है लेकिन उसकी गुणवत्ता अमृत इतनी ही पवित्र रहती है। शुद्ध गुड में आपको लकड़ी जैसा भी महसूस हो सकता है जो को गन्ने के अंदर का भाग रहता है वो गर्म हो कर कड़ा हो जाता है। तो गांठ बांध के गुड जब भी लेंगे तो काला वाला ही लेंगे , सर्फ वाला नहीं। 

अगर आप शुद्ध गुड मांगना चाहते है तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर सकते हैं हम आपको उचित मूल्य में आपके आवास पर उपलब्ध करवा देंगे लेकिन चुकी गुड बनने का समय जनवरी के दूसरे हफ्ते तक ही होता है तो यह आपको इसी बीच में मिलेगा । अगर आप शुद्ध गुड चाहते हैं तो अभी कॉमेंट कर के ऑर्डर करे।। धन्यवाद।


Tuesday, November 17, 2020

मानव शरीर के तीन दोष, जिसका निवारण कर लिया तो बीमारी रहेगी कोषों दूर।

हमारा मानव शरीर या किसी भी जीव का शरीर पंचतत्व से मिलकर बना है इसीलिए कहा गया है:- 

क्षिती, जल,पावक,गगन,समीरा
पंच रचित यह अधम शरीरा।।

अर्थात हमारा नश्वर शरीर मिट्टी, पानी, आग,आकाश और हवा से मिलकर बना है ।


इन पंच तत्वों में मिट्टी के रूप में उसके सारे अवयव जैसे कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैसियम और 16 अव्यव हमारे शरीर में मौजूद हैं। अग्नि के रूप में हमारे शरीर में अग्न्याशय और अन्य ग्रंथि है जो हमारे शरीर के ताप को नियंत्रित करने के साथ साथ भोजन पचाने का काम भी करती है। जल या पानी हमारे शरीर में प्रधानता से विद्यमान होता है ये तो हम सब जानते हैं।  फिर वायु जो शरीर में विभिन्न तत्वों का परिचालन करता है अगर आपके शरीर का वायु बिगड़ा तो विभिन्न तरह कि बीमारियां जन्म लेती है । 

हमारे शरीर में मुख्यतया तीन प्रकार के दोष हैं :- कफ, पित्त और वात न्हींी

इन्हीं तीनों के बिगड़ने से हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां जन्म लेती हैं। अगर किसी मनुष्य ने इन तीनों को वश में कर लिया तो समझिए उसने बीमारी नामक बीमारी को हरा दिया।

आइए आज हम वात के बारे में चर्चा करते हैं और वात को समझने की कोशिश करते हैं।


वात द्वारा होने वाले रोगों की कुछ विशेषताएं इस प्रकार है:- 

रुक्षः,शीतः,लघु,सूक्ष्म,लोद,विषम,खड़ऽ।
विपरेत  द्रव्य मारूत प्रशामंती।।

अर्थात वात दोष का रोग रुक्षष्णता लिए होता है  , रूखापन 
इससे रोगी को ठंड  अधिक लगती है यथा  गर्मी में भी पंखा चलाने से कतराता है। शरीर में शुक्ष्मत आ जाती है। बोलने में परेशानी यथा बुदबुदाहट या हकलापन आ जाता है, शरीर छोटा पतला हो जाता है।  शरीर में आलसीपन आ जाता है  रोगी को अचानक से गुस्सा आना लगता है और रोगी खीझने लगता है। नींद गहरी नहीं होती और सो कर उठे फिर भी आलस्य या ऊंघी आती रहती है। ठंड में अत्यधिक बीमार पड़ते हैं । वात से 80 प्रकार के रोग होते हैं। चंचलता बहुत होती है। तेजी से चलने की या हड़बड़ाहट होती है। शरीर अस्थिर होता है। हाथ पैर मोरने पर कट कट की आवाज़ आती रहती है। तव्चा का फटना और अपने आप हड्डी का टूटना भी वात दोष के लक्षण है। शरीर रुखा और खुरदुरा होता है। शीघ्र निर्णय लेते है और जल्दी जल्दी बोलने कि और ज्यादा बोलने कि प्रवृति होती है। बहुत जल्दी किसी बात को समझ जाते हैं और उतनी ही शीघ्रता से भूल भी जाते हैं। याददाश्त लंबे समय तक नहीं टिकती लेकिन अल्प समय के लिए बहुत अच्छी होती है। 

 कारण :- 
  वात हमारे पूरे शरीर में विचरण करता है। और मुख्यता से 5 जगहों को प्रभावित करता है ।

हृदय प्राणों , गुदे पानो , समान नाभि मंडले।
उदान कंठ देशाश्य व्यान सर्व  शरीरः।।

अर्थात  हृदय में प्राण का स्थान है, गुुदा में अपान  का स्थान है, ऐसा  ही समान हमारे नाभि मंडल  में विचरन करता है , 
उदान प्राण कंठ से ऊपर और व्याण प्राण पूरे शरीर में विचरण करता है।  और शरीर के सम्पूर्ण क्रियाओं को निर्धारित करता है।  वात के प्रभावित होने से शरीर के सम्पूर्ण क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है और शरीर में रोग कि वृद्धि होती है। शरीर में मल, मूत्र , छिक इत्यादि रोकने पर वात दोष होता है। अतः स्वाभाविक क्रियाओं को कभी रोकना नहीं चाहिए। एकबार भोजन करने के पश्चात पचने से पहले अगर आपने दोबारा भोजन कर लिया तो भी वात दोष लगता है। अतः कहा गया है कि दो भोजन के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतर रखा जाए। बिना भूख के भोजन नहीं करना चाहिए। अनियमित भोजन से भी वात दोष लगता है। ससमय नींद नहीं लेने से, ज्यादा जागने से, रूखे कसैले भोजन से या अत्यधिक यात्रा से भी वात दोष प्रभावित होता है। अधिक सूखे मेवे अर्थात ड्राई फ्रूट खाने से भी वात दोष होता है अतः मेवे को हरदम पानी या दूध में फूला के खाना चाहिए।  संभौगिक क्रियाओं को अधिक करने से भी वात दोष उत्पन्न होता है। आंतरिक और बाह्य दवाब अर्थात डिप्रेशन और डर से भी वात दोष प्रभावित होता है। अधिक मात्रा मेे और ठंडा या बासी खाना खाने से वात दोष उत्पन्न होता है। 

उपचार ;- 
प्रथमतः उपरोक्त क्रियाएं जितना कम हो सके वो करें। 
आयुर्वेद में कुछ महर्षियों के अनुसार नवंबर, दिसंबर और जनवरी वात का समय है और इस समय अर्जुन के छाल का काढ़ा या अर्जुन के छाल के पाउडर को सुबह दूध के साथ पीने पर इस रोग से निजात मिल सकता है।  

त्रिफला का सेवन सुबह सुबह गुड़ के साथ करने पर भी पित्त, कफ और वात से राहत मिलती है ।

नोट:- त्रिफला बाजार से ना मंगाए स्वयं बनाए। बाजार के पैक्ड प्रोडक्ट पर भरोसा करना ठीक नहीं। 

तत्पश्चात हमे कुछ और नियम अपनाने चाहिए जिससे हमारा कफ पित्त और वात संतुलित अवस्था में रहे । ये पूरा जाने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करे।



ऊपर के लिंक पर क्लिक करके आप बाकी जानकारियां भी के सकते है कि पित्त कफ और वात को कैसे कंट्रोल करें।

अगर आपको अर्जुन का छाल चाहिए तो आप हमे संपर्क कर   सकते हैं।।  संपर्क करने के लिए कॉमेंट करे।

Friday, November 13, 2020

जोड़ो के दर्द दूर करने के आसान उपाय।।


हमारा किचन औषधियों का भंडार गृह है। भारतीय स्वयं पाक गृह अर्थात किचन में स्वयं औषधियों के देवता धन्वंतरी का निवास होता है बस हम उनका उपयोग नहीं जानते। मेरा काम है आपको उनके उपयोग बताना चाहे वो कहीं से भी लाया गया हो। 


अगर आपके घुटनों, कमर या कहीं भी जोड़ो का दर्द है तो उसका सबसे अच्छी औषधी है  मेथी दाना। 

मेथी दाना के 3 महीने उपयोग से आपके कमर दर्द, घुटनों का दर्द या शरीर के किसी भी हिस्से के जोड़ो का दर्द ठीक हो जाएगा।

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उपयोग:- 

छोटी चम्मच से एक चम्मच मेथी दाना ले,उसको रात्रि में पानी में डाल दें। सुबह सुबह मेथी दाना को अच्छे से चबा कर खा ले और पानी उठा कर पी लें। 3 महीने जाते जाते आपका दर्द जड़ से खत्म हो जाएगा। 

नोट:- अगर आपको बार बार शौच जाने की बीमारी है तो आपको मेथी और पालक खाने से परहेज़ करना चाहिए ।

हमारा लक्ष्य आपको डॉक्टर से दूर रखना है और आपके समय और पैसों को बचाना है। अगर आपको हमारे सलाह से फायदा हुआ तो हमे जरूर बताएं और बाकियों तक भी पहुंचाए। हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और हमे सेवा का मौका दे। 

   धन्यवाद।।